ज्योतिष एक विज्ञान (भाग 3)
जैसा कि मैंने ज्योतिष एक विज्ञान (भाग 1)और ज्योतिष एक विज्ञान (भाग 2) में यह बताया है कि ज्योतिष ही एकमात्र ऐसा शास्त्र है,जिसके सूर्य और चंद्रमा साक्षी हैं।पिंड अर्थात ग्रह अपनी किरणों से हम सब जीवो पर अपना प्रभाव डालते हैं। क्योंकि सूर्य और चंद्रमा हमें प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं और इनकी किरणों का प्रत्यक्ष रूप से हम अपने ऊपर प्रभाव होते हुए देख सकते हैं, इसी तरह बाकी ग्रह जो हमें दिखाई नहीं देते लेकिन वह भी अपनी किरणों द्वारा हमें प्रभावित करते हैं।
इसी संदर्भ में आइए एक बात पर और विचार करते हैं हम जिस ग्रह पर रहते हैं उसका नाम है पृथ्वी । पृथ्वी से 13 l बड़ा ग्रह है सूर्य अर्थात यदि सूर्य को खाली करके उसमें पृथ्वीयां फिट की जाए तो उसके अंदर लगभग कई पृथ्वियां समा जाएंगी।सूर्य पृथ्वी से इतना बड़ा ग्रह है और सूर्य से भी बड़ा ग्रह है गुरु।गुरु ब्रह्मांड में ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है और गुरु से भी बड़ा है ज्येष्ठा नक्षत्र।यदि आज के युग में कोई व्यक्ति पृथ्वी से ज्येष्ठा नक्षत्र तक पहुंचने की सोचे तो उस व्यक्ति को लगभग एक लाख प्रकाश वर्ष का समय ज्येष्ठा नक्षत्र तक पहुंचने में लगेगा। यह बात वैज्ञानिकों के लिए सोचने का विषय है कि हम भारतीय ज्येष्ठा नक्षत्र को बहुत पहले से ही लिखते आ रहे हैं।
ज्येष्ठा नक्षत्र के बारे में हम हजारों लाखों वर्षों से जानते हैं।अब सोचने का विषय यह है कि हम भारतीय इतने वर्षों पूर्व जबकि हमारे पास कोई आधुनिक साधन भी नहीं होते थे हम ज्येष्ठा नक्षत्र तक कैसे पहुंच गए और उसका नामकरण कर आए ज्येष्ठा। हम सब जानते हैं कि हमारे भारत मे ज्येष्ठ का अर्थ होता है सबसे बड़ा। अर्थात हम यह बहुत पहले से ही जानते हैं कि ज्येष्ठा नक्षत्र से बड़ा ब्रह्माण्ड में कोई नही है ,ग्रह , उपग्रह, नक्षत्र इत्यादि कोई भी नहीं। पश्चिमी सभ्यता के लोगों को ये सब लगभग केवल 800 वर्ष पूर्व पता लगा। उस समय या तो हमारे पास विज्ञान आज के विज्ञान से कहीं ज्यादा होगा या ऋषि मुनि अपने तपोबल से यह ज्ञान प्राप्त करते थे।हमे अपने ऋषी मुनियों का ऋणि रहना चाहिए। जिनके कारण ये महान ज्ञान हमे प्राप्त हुआ।
ज्योतिषशास्त्र ना केवल मानव जीवन की व्याख्या करता है अपितु सृष्टि के विषय में भी फल का निरूपण करता है।खगोलीय हलचलें किन योगों में होंगी, सूर्य ग्रहण कब पड़ेगा, सूर्य का अलग-अलग जगहों में प्रतिदिन उदय और अस्त होने का समय, वर्षा कब होगी ,अधिक वर्षा और कम वर्षा किन योगों में होती है ,मेघों का गर्भधारण क्या है ,मौसम ज्ञान ,खेती कैसी होगी ,भूकंप किस योग में आएगा, बाजार की तेजी मंदी का विचार ,वास्तु विद्या तथा भूमि परीक्षण आदि बहुत से विषय ज्योतिष शास्त्र में विवेचित रहते हैं।भूमि के नीचे कहां पर कितनी गहराई में जल है, कहां अस्थियाँ हैं, इन सब के ज्ञान के अद्भुत तरीके ज्योतिष में विद्यमान है। मनुष्य के आज भी समस्त कार्य ज्योतिष द्वारा ही चलते हैं किसी विशेष कार्य के लिए उपयोगी दिन, सप्ताह,पक्ष,मास,आयन,ऋतू,वर्ष तिथि आदि का ज्ञान ज्योतिष शास्त्र से ही हो सकता है। यह सब हमारे भारत में प्राचीन काल से ही होता आया है पश्चिमी देश इस महान ज्ञान के आस पास भी नहीं थे।अन्वेषण कार्य को संपन्न करना भी ज्योतिष ज्ञान के बिना संभव नहीं है भारत ने सन 2015 में मंगल ग्रह पर सबसे कम समय पर अपना यान पहुंचाया है।उस मंगलयान को छोड़ने का समय निर्धारण करने से पहले ज्योतिष शास्त्र की सहायता से एक अच्छे मुहूर्त में यह काम किया गया जिसके परिणाम स्वरूप हमें सफलता भी मिली और हमारा बहुत ज्यादा पैसा और समय बच सका। ज्योतिष इसी प्रकार कदम कदम पर प्रत्येक व्यक्ति को किसी विशेष कार्य के लिए सही समय निर्धारण करवाया करता है। क्या आप सब जानते हैं कि 1. आज के समय में सिनेमाघरों में फिल्में सिर्फ शुक्रवार को ही क्यों लगती हैं? 2. न्यायालय में जज और वकील काला कोट क्यों पहनते हैं? 3. डॉक्टर हमेशा सफेद कोट ही क्यों पहनते हैं? इन सब के पीछे भी ज्योतिष ही एकमात्र कारण है ।यह सब आपको अगले लेख ज्योतिष एक विज्ञान(भाग4)में बताऊंगा तब तक के लिए नमस्कार।
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Instagram पर Divya jyotish Vidyapeeth के नाम से मिल जाऊँगा। आपका अपना, ASTROLOGER DEEPAK MUDHGIL. CONTECT NO. 9813508507
जैसा कि मैंने ज्योतिष एक विज्ञान (भाग 1)और ज्योतिष एक विज्ञान (भाग 2) में यह बताया है कि ज्योतिष ही एकमात्र ऐसा शास्त्र है,जिसके सूर्य और चंद्रमा साक्षी हैं।पिंड अर्थात ग्रह अपनी किरणों से हम सब जीवो पर अपना प्रभाव डालते हैं। क्योंकि सूर्य और चंद्रमा हमें प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं और इनकी किरणों का प्रत्यक्ष रूप से हम अपने ऊपर प्रभाव होते हुए देख सकते हैं, इसी तरह बाकी ग्रह जो हमें दिखाई नहीं देते लेकिन वह भी अपनी किरणों द्वारा हमें प्रभावित करते हैं।
इसी संदर्भ में आइए एक बात पर और विचार करते हैं हम जिस ग्रह पर रहते हैं उसका नाम है पृथ्वी । पृथ्वी से 13 l बड़ा ग्रह है सूर्य अर्थात यदि सूर्य को खाली करके उसमें पृथ्वीयां फिट की जाए तो उसके अंदर लगभग कई पृथ्वियां समा जाएंगी।सूर्य पृथ्वी से इतना बड़ा ग्रह है और सूर्य से भी बड़ा ग्रह है गुरु।गुरु ब्रह्मांड में ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है और गुरु से भी बड़ा है ज्येष्ठा नक्षत्र।यदि आज के युग में कोई व्यक्ति पृथ्वी से ज्येष्ठा नक्षत्र तक पहुंचने की सोचे तो उस व्यक्ति को लगभग एक लाख प्रकाश वर्ष का समय ज्येष्ठा नक्षत्र तक पहुंचने में लगेगा। यह बात वैज्ञानिकों के लिए सोचने का विषय है कि हम भारतीय ज्येष्ठा नक्षत्र को बहुत पहले से ही लिखते आ रहे हैं।
ज्येष्ठा नक्षत्र के बारे में हम हजारों लाखों वर्षों से जानते हैं।अब सोचने का विषय यह है कि हम भारतीय इतने वर्षों पूर्व जबकि हमारे पास कोई आधुनिक साधन भी नहीं होते थे हम ज्येष्ठा नक्षत्र तक कैसे पहुंच गए और उसका नामकरण कर आए ज्येष्ठा। हम सब जानते हैं कि हमारे भारत मे ज्येष्ठ का अर्थ होता है सबसे बड़ा। अर्थात हम यह बहुत पहले से ही जानते हैं कि ज्येष्ठा नक्षत्र से बड़ा ब्रह्माण्ड में कोई नही है ,ग्रह , उपग्रह, नक्षत्र इत्यादि कोई भी नहीं। पश्चिमी सभ्यता के लोगों को ये सब लगभग केवल 800 वर्ष पूर्व पता लगा। उस समय या तो हमारे पास विज्ञान आज के विज्ञान से कहीं ज्यादा होगा या ऋषि मुनि अपने तपोबल से यह ज्ञान प्राप्त करते थे।हमे अपने ऋषी मुनियों का ऋणि रहना चाहिए। जिनके कारण ये महान ज्ञान हमे प्राप्त हुआ।
ज्योतिषशास्त्र ना केवल मानव जीवन की व्याख्या करता है अपितु सृष्टि के विषय में भी फल का निरूपण करता है।खगोलीय हलचलें किन योगों में होंगी, सूर्य ग्रहण कब पड़ेगा, सूर्य का अलग-अलग जगहों में प्रतिदिन उदय और अस्त होने का समय, वर्षा कब होगी ,अधिक वर्षा और कम वर्षा किन योगों में होती है ,मेघों का गर्भधारण क्या है ,मौसम ज्ञान ,खेती कैसी होगी ,भूकंप किस योग में आएगा, बाजार की तेजी मंदी का विचार ,वास्तु विद्या तथा भूमि परीक्षण आदि बहुत से विषय ज्योतिष शास्त्र में विवेचित रहते हैं।भूमि के नीचे कहां पर कितनी गहराई में जल है, कहां अस्थियाँ हैं, इन सब के ज्ञान के अद्भुत तरीके ज्योतिष में विद्यमान है। मनुष्य के आज भी समस्त कार्य ज्योतिष द्वारा ही चलते हैं किसी विशेष कार्य के लिए उपयोगी दिन, सप्ताह,पक्ष,मास,आयन,ऋतू,वर्ष तिथि आदि का ज्ञान ज्योतिष शास्त्र से ही हो सकता है। यह सब हमारे भारत में प्राचीन काल से ही होता आया है पश्चिमी देश इस महान ज्ञान के आस पास भी नहीं थे।अन्वेषण कार्य को संपन्न करना भी ज्योतिष ज्ञान के बिना संभव नहीं है भारत ने सन 2015 में मंगल ग्रह पर सबसे कम समय पर अपना यान पहुंचाया है।उस मंगलयान को छोड़ने का समय निर्धारण करने से पहले ज्योतिष शास्त्र की सहायता से एक अच्छे मुहूर्त में यह काम किया गया जिसके परिणाम स्वरूप हमें सफलता भी मिली और हमारा बहुत ज्यादा पैसा और समय बच सका। ज्योतिष इसी प्रकार कदम कदम पर प्रत्येक व्यक्ति को किसी विशेष कार्य के लिए सही समय निर्धारण करवाया करता है। क्या आप सब जानते हैं कि 1. आज के समय में सिनेमाघरों में फिल्में सिर्फ शुक्रवार को ही क्यों लगती हैं? 2. न्यायालय में जज और वकील काला कोट क्यों पहनते हैं? 3. डॉक्टर हमेशा सफेद कोट ही क्यों पहनते हैं? इन सब के पीछे भी ज्योतिष ही एकमात्र कारण है ।यह सब आपको अगले लेख ज्योतिष एक विज्ञान(भाग4)में बताऊंगा तब तक के लिए नमस्कार।
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It's really helpful and good information to know how jyotish gyan helpful in our routine life and how vast it is.
ReplyDeleteThanks sir.
DeleteTrue
ReplyDeleteThanks Rajiv ji.
Deletevery nice!
ReplyDeleteU r the best sir!!!
ReplyDeleteThanks mam.
DeleteVery Nyc Sir
ReplyDeleteThank you so much sir.
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