आप सब ने ज्योतिष एक विज्ञान( भाग -1) में चंद्र ग्रह के बारे में जाना, आइए ज्योतिष एक विज्ञान( भाग -2) में बात करते हैं सूर्य के बारे में ,सूर्य ग्रह नहीं है सूर्य एक तारा है लेकिन सूर्य का पृथ्वी और पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी ,वनस्पति पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है ,इसलिए हमारे ऋषियों ने सूर्य को ग्रह माना। हम सब जानते हैं की पृथ्वी पर वन्य जीवन और मानव जीवन सूर्य के प्रकाश और ऊष्मा के बिना असंभव है। सूर्य के प्रभाव से ही दिन -रात और ऋतुयें बनती हैं ।सूर्य की ऊष्मा के कारण जल चक्र पूरा होता है और सभी प्राणियों को वर्षा के रूप में जीवन के लिए जल प्राप्त होता है ।सभी प्रकार के बीज सूर्य की ऊष्मा के बिना अंकुरित नहीं हो सकते ।सूर्यमुखी का फूल सूर्य की दिशा के अनुसार अपनी दिशा बदलता रहता है ।
रूस के वैज्ञानिकों ने खोज की है कि जब अंतरिक्ष में सूर्य ग्रहण होता है तो पृथ्वी पर जंगल में पक्षी 24 घंटे पहले ही कलरव करना बंद कर देते हैं ।जंगल के सभी जानवर अज्ञात भय से ग्रसित हो जाते हैं । बोस इंस्टीट्यूट कोलकाता के माइक्रोबायोलॉजी के दो वैज्ञानिकों का निष्कर्ष है ,कि सौर मंडल के विकरण से वायुमंडल के जीवाणुओं का नियंत्रण होता है । 16 फरवरी 1980 के पूर्ण सूर्यग्रहण के अवसर पर कोलकाता के प्रख्यात बोटैनिकल गार्डन के वायुमंडल में बैक्टीरिया फ़ंजाई एवं घातक जीवाणु प्रचुर मात्रा में पाए गए । सूर्य ग्रहण से पूर्व और बाद में विभिन्न जीवाणुओं का अध्ययन करके पाया गया कि सूर्य ग्रहण के समय में ना केवल इनकी संख्या में वृद्धि हुई है अपितु इनकी मारक क्षमता में भी अत्यधिक वृद्धि हुई ।इन वैज्ञानिकों ने देखा की सूर्यग्रहण के अवसर पर पानी को खुला छोड़ देने पर उस में विभिन्न प्रकार के विषाणु और कीटाणु वायुमंडल से आकर उसे विषाक्त करते हैं ,जबकि अन्य अवसरों पर ऐसा नहीं होता। इसीलिए हमारे भारतीय ऋषि -मुनियों का निर्देश है कि सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय खुला जल अन्य व आहार ग्रहण नहीं करना चाहिए ।हमारे भारत में तो ग्रहण के दिन उपवास करने की परंपरा चली आ रही है ।सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय नदियों आदि में स्नान की परंपरा है जो पूर्णतया वैज्ञानिक है, वैज्ञानिकों का मत है कि प्रवाहित जल में प्राण- ऊर्जा प्रचुर मात्रा में होती है। ग्रहण के समय मानव शरीर पर वायुमंडलीय विषाणु का आक्रमण होता है । अब तक हम सब यह समझ ही गए हैं कि आकाशीय पिंड अर्थात ग्रह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संपूर्ण जगत को प्रभावित करते हैं ।इस प्रकार यह सिद्ध हो जाता है कि मनुष्य की प्रकृति और स्वास्थ्य का गहरा संबंध ग्रहों से है। हमारे ज्योतिषाचार्य प्राचीन समय से ही सूर्य व चंद्र ग्रहण की स्टीक भविष्यवाणियां करते आ रहे हैं वो भी बिना किसी विशेष यंत्रो की सहायता से। ज्योतिष आचार्यों ने 100 वर्ष का पंचांग बनाया हुआ है जिसके लगभग 74 साल बीत चुके हैं और 26 वर्ष शेष हैं उस पंचांग में पंचांग की शुरुआत से 100 साल तक की प्रत्येक ग्रहण लगने की तिथि, ग्रहण ,योग ,लग्न ,ग्रहों की स्थिति ,सूर्य उदय और सूर्य अस्त का समय भी बिल्कुल ठीक -ठीक लिखा हुआ है और वह पंचांग इस बात का साक्षी है।। दिनों का नामकरण हमारे ऋषि-मुनियों की ही संसार को देन है। इसके पीछे वर्षों की मेहनत और सोच है, बाकी सभी संसार दिनों के नाम करण में हमारे ऋषि-मुनियों का ऋणी रहेगा क्योंकि यह नामकरण हम भारतीयों का आविष्कार है जैसे हम रविवार कहते हैं जिसका अर्थ है रवि (सूर्य)का दिन, वो लोग Sunday कहते हैं अर्थात Sun (सूर्य)का दिन । हम सोमवार कहते हैं और पश्चिमी सभ्यता के लोग Monday कहते हैं अर्थात Moon (चन्द्रमा) का दिन । ऐसे ही बाकी दिनों के विषय में पश्चिमी सभ्यता ने हमारा अनुकरण किया है यह प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व और सम्मान की बात है । जिस प्रकार सूर्य ब्रह्मांड में रोशनी और ऊष्मा देता है उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र में सूर्य नेत्रों की रोशनी और शरीर के तापमान का कारक है। क्योंकि प्रत्येक बीज सूर्य की उष्मा के कारण ही अंकुरित होता है इसलिए ज्योतिष में सूर्य को पिता का कार्य कहा गया है ।
जैसा कि मैंने ज्योतिष एक विज्ञान (भाग -1) में चन्द्रमा के बारे मे लिखा कि मानसिक रोगियों को Medical science पूर्णिमा की रात को चाँद देखने से मना करती है, जिनकी आँखों की रोशनी कम हो जाती है उनको पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा को निहारने के लिए डॉक्टर ही सलाह देते हैं।
और ऊपर जो मैंने Vitamin -D वाली बात कही, सूर्य की धूप में बैठने की सलाह भी Doctor ही तो देतें हैं। यहां पर एक बात समझ मे आती है कि जब हमसे लाखों करोड़ों किलोमीटर दूर स्तिथ सूर्य और चन्दमा अपनी किरणों से हम पर इतना प्रभाव रखते हैं तो बाकी ग्रहों का प्रभाव भी होता है। वो हमें दिखाई दें या दिखाई न दें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। मैंने आपको ज्योतिष एक विज्ञान (भाग -1 )में बताया कि ज्योतिष ही एकमात्र ऐसा विषय है जिसके साक्षी सूर्य और चन्द्र है। वे हमें दिखाई देते हैं । उनका प्रभाव हम देख व समझ पा रहे हैं।इसी तरह से जो ग्रह हमे दिखाई नहीं देते उनका भी हम पर पूर्ण प्रभाव है। मानव का पूरा जीवन इन्ही ग्रहों द्वारा नियंत्रित होता है। किसी का जीवन Smooth होता है और किसी का कठिनाइयों से भरा हुआ, चाहे एक ही परिवार के ही सदस्य क्यों ही न हों, फिर भी जीवन में भिन्नता आ ही जाती है। तो ये भिन्नता हमे ग्रहों द्वारा ही प्राप्त होती है। उदहारण के लिए एक ही परिवार में दो भाई हों दोनों में से किसी एक की Married Life, professional Life, Life style , Health issues या सन्तान की दिक्कत होना इत्यादि रहता है, यदि किसी परिवार में 4 सदस्य हैं तो ये आवश्यक नही है कि सभी के साथ ये दिक्कतें परेशानियां हो, किसी एक को भी हो सकती हैं। तभी तो कहते हैं कि इसके तो ग्रह खराब हैं। हमारे पूर्वज यह ज्ञान रखते थे, लेकिन हमारे देश पर मुगलों और अंग्रेजों का राज रहा है। उन्होंने हम भारतीयों को कमजोर करने के लिये ज्योतिष और आयुर्वेद को बकवास और झूठ कहना शुरू किया। अंग्रेजों ने भारत मे शिक्षा ही ऐसी परोसी जिसका मकसद आयुर्वेद और ज्योतिष को समाप्त करना ही था। आज भी अंग्रेजी स्कूलों में पढ़े हुए लोग ज्योतिष और आयुर्वेद को मानते ही नहीं। जबकि किसी भी विद्या से हमारी विद्या प्राचीन व श्रेष्ठ है । हमारी प्राचीन विद्याओं के कारण ही हमारा देश विश्व गुरु था। आज इन विद्याओं को अपनाने और बचाने की आवश्यकता हैऔर ये बात प्रत्येक भारतीय को समझनी चाहिए।
ज्योतिष एक विज्ञान( भाग - 3) में इस विषय को और ज्यादा विस्तृत करने की कोशिश करूंगा।
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आपका अपना,
ASTROLOGER DEEPAK MUDGIL
91-9813508507.
अति उतम जानकारी
ReplyDeleteराधे राधे गुरू जी
Thank you very much sir.
Deleteबहुत अच्छा। ज्ञान से भरपूर।
ReplyDeleteDHANYEWAD SHRIMAN
DeleteGreat knowledge sir.Thnks a lot.
ReplyDeleteThanks komal ji.
DeleteVery knowledgeable sir.
ReplyDeleteThanks priyanka ji
DeleteVery useful & good knowledge. Thanks sir
ReplyDeleteThanks amit ji
Deletevery nice sir...Thank you very much for sharing
ReplyDeleteThanks nilu ji.
DeleteVery useful & good knowledge.
ReplyDeleteThanks ji.
DeleteGreat knowledge Sir
ReplyDeleteThanks ji.
Deleteअति महत्वपूर्ण जानकारी 🙏🙏
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्येवाद श्रीमान।
Deletevery nice sir...Thank you very much for sharing
ReplyDeleteThanks sir
DeleteThanks sir
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