ज्योतिष एक विज्ञान (भाग -1)
आइए ज्योतिष एक विज्ञान (भाग 1 )में बात करते हैं चंद्रमा की।ज्योतिष एक विज्ञान( भाग- 2) में सूर्य आदि ग्रहों की जानकारियां प्राप्त होंगी।पूरा ब्रह्मांड पांच तत्वों से मिलकर बना है अग्नि ,पृथ्वी ,आकाश ,जल ,वायु । ब्रह्मांड में जितना भी जल है उस का कारक चंद्रमा है। इस बात को समझने के लिए एक साइंटिफिक उदाहरण देता हूं यह बात सभी जानते हैं की प्रत्येक पूर्णिमा की रात को समुद्र में ज्वार भाटा आता है, उसका कारण चंद्रमा है। उस रात चंद्रमा पूर्ण बली होता है और अपने गुरुत्वाकर्षण बल से अपनी कारक वस्तु जल को अपनी ओर आकर्षित करता है (खींचता है) क्योंकि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से कहीं ज्यादा होता है ,इसलिए चंद्रमा द्वारा ऊपर उठाया हुआ जल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे आ जाता है ।पानी के ऊपर उठने और नीचे गिरने की क्रिया को ज्वार भाटा कहा जाता है ।इस तथ्य को वैज्ञानिक स्वीकार कर चुके हैं कि इसका कारण चंद्रमा है। जैसे पृथ्वी पर 71% जल की मात्रा है वैसेे ही हमारेेे शरीर में भी 71% जल की मात्रा है ,चंद्रमा जब समुद्र के जल को प्रभावित कर सकता है तो हमारे शरीर के जल तत्व को भी प्रभावित करता है ।जिसके परिणाम स्वरूप चंद्रमा का प्रभाव हमारे मन पर पूर्ण रूप सेे होता है ,हमारा मन कभी शांत जल की तरह शांत होता हैैै और कभी ज्वाार भाटा की तरह अव्यवस्थित होता है ।ना तो कभी चंद्रमा विश्राम करता है और ना ही हमारा मन कभी रुकता है ।चंद्रमा की चांदनी में शीतलता और सौम्यता होती है ,ज्योतिष में भी चंद्रमाा को शीतल और सौम्य ग्रह ही लिया गया है ।अमेरिका में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार यह पाया गया कि अधिकांश हत्याकांड एवं अपराध अमावस्या एवं पूर्णिमा के आसपास ही होते हैं । डॉक्टर Budai
के अनुसार मनुष्य में कामुकता और मिर्गी या पागलपन का दौरा इन्हीं दिनों के आसपास आता है डॉक्टर Budai को आप इंटरनेट पर देख सकते हैं।
मानसिक रूप से बीमार रोगियों को उनका डॉक्टर पूर्णिमा की रात को चाँद न देखने की सलाह देता है।क्योंकि मन का कारक चन्द्रमा है और पूर्णिमा की रात को चन्द्र सबसे ज्यादा बली होता है, जिनका मन पहले से अव्यवस्थित है उस रात उनको ज्यादा परेशानी होगी । जो क्रूर किस्म के मनोरोगी होते हैं उनको तो पूर्णिमा की रात बेड़ियों से बांधकर या बंद कमरे में रखा जाता है। कारण सिर्फ चन्द्रमा है। जिन लोगों का BP High रहता है , पूर्णिमा के आस पास उनका कोई भी ऑपरेशन नहीं किया जा सकता क्योंकि उन दिनों खून का दौरा ज्यादा तेज होता है।
कुमुदिनी और रात की रानी जैसे फूल रात के समय चन्द्र किरणों से ही खिलते हैं। इन फूलों का रात के समय ही खिलना विशेष अर्थ रखता है। चन्द्रमा जब इन वनस्पतियों पर अपना प्रभाव रख सकता है तो हम भी तो उसी धरा पर ही रहते हैं, जहां पर ये सब फूल पौधे हैं।
प्राचीन काल से अब के समय तक हमारे विद्वान ज्योतिष आचार्य चन्द्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के होने की सही तिथि और समय का आंकलन करके वर्षों पूर्व ही बता देते हैं । ये गणनाएँ मात्र कल्पना नहीं हैं, यह विज्ञान की कसौटी पर भी खरी उतरती हैं।
अब सवाल यह आता है कि विज्ञान यह गणनाएँ लगभग 800 साल पहले करने लगा है और हमारे पूर्वज इन्ही गणनाओं को हजारों लाखों वर्षो पूर्व से ही करते आ रहे हैं। इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में हमारे पास विभिन्न ग्रन्थ मौजूद हैं। हमारे ऋषि मुनियों के पास यह ज्ञान होता था ,यह हमारे लिए गर्व व हर्ष की बात है कि हम भारतवासी केवल 800 साल से ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से वैज्ञानिक हैं।बाकी संसार ने हमसे ही ज्ञान प्राप्त किया है।
हमारे पूर्वजों ने बिना किसी विशेष उपकरण की सहायता के किस प्रकार ग्रहों के बारे में जानकारी प्राप्त की , ग्रहों की गणना , ग्रहों की पृथ्वी से दूरी, उनकी आपस मे दूरी, उनके रंग, व्यास, आकार , गुण इत्यादि कैसे जाना यह भी विचार करने योग्य तथा खोज करने वाला विषय है।
इस लेख में मैंने सिर्फ चन्द्रमा के बारे मे लिखा। आने वाले ज्योतिष एक विज्ञान( भाग -2) में सूर्य के बारे में जानकारी प्राप्त होगी तथा मेरे पास ज्योतिष एक विज्ञान विषय की जितनी भी जानकारी है, वह सारी जानकारी आपको आने वाले Blogs में मिलेंगी। यदी इस विषय की आपके पास कोई सामग्री हो तो कृपया करके हमसे साझा करें। धन्येवाद।
Writer,
Astrologer Deepak mudgil
91-9813508507
आज के इस कंप्यूटर युग में हमारी सभ्यता और संस्कृति के लिए विडंबना का विषय यह है कि हमें यह सिद्ध करना पड़ रहा है कि ज्योतिष विज्ञान है ,जबकि सही मायने में ज्योतिष विज्ञान का अंग नहीं बल्कि विज्ञान ज्योतिष से निकला है ।आज भी समाज के कुछ लोग ज्योतिष को विज्ञान ना मानकर सिर्फ आडंबर की दृष्टि से देखते है ,जबकि यह सही नहीं है । आइए समझाता हूं विज्ञान लगभग 800 साल पहले अंतरिक्ष और अंतरिक्ष में स्थित ग्रहों और उपग्रहों तक पहुंचा क्योंकि लगभग 800 साल पहले विज्ञान ने टेलिस्कोप का आविष्कार किया था ,इसके विपरीत हमारे ऋषि-मुनियों ने लाखों वर्षों पूर्व ही इन सब की प्रत्येक जानकारी प्राप्त कर ली थी ।यह सब कुछ हमारे प्राचीन शास्त्रों में वर्णित है ।उन्होंने अपने योग बल तथा अन्य तरीकों से अध्ययन किया कि यह सभी ग्रह अंतरिक्ष में केवल घूमते ही नहीं अपितु पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी वनस्पति पर ग्रहों का पूर्ण प्रभाव है । हम सभी ब्रह्मांड का ही हिस्सा हैं,क्योंकि ब्रह्मांड पांच तत्वों से मिलकर बना है और हमारा शरीर भी उन्ही पांच तत्वों से मिलकर बना है ,जैसे एक नगर या मोहल्ले में होने वाली गतिविधियों का प्रभाव वहां पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी पर पड़ेगा वैसे ही ब्रह्मांड में हम अन्य चीजों से प्रभावित होते हैं ।आज भी कुछ लोग यह नहीं मानते की ग्रहों का मानव जीवन
पर कोई प्रभाव पड़ता है ,आइए इस बात को तर्क के साथ समझने का प्रयास करते हैं कि ज्योतिष शास्त्र अपने आप में पूर्ण वैज्ञानिक धारणा लिए हुए है।ज्योतिष ही एकमात्र ऐसा शास्त्र है जिसके साक्षी सूर्य और चंद्रमा है। यह मात्र कल्पना नहीं है प्रत्यक्ष सत्य है। यह ज्योतिष एक विज्ञान blog 4 भागों में आएगा।
पर कोई प्रभाव पड़ता है ,आइए इस बात को तर्क के साथ समझने का प्रयास करते हैं कि ज्योतिष शास्त्र अपने आप में पूर्ण वैज्ञानिक धारणा लिए हुए है।ज्योतिष ही एकमात्र ऐसा शास्त्र है जिसके साक्षी सूर्य और चंद्रमा है। यह मात्र कल्पना नहीं है प्रत्यक्ष सत्य है। यह ज्योतिष एक विज्ञान blog 4 भागों में आएगा।
आइए ज्योतिष एक विज्ञान (भाग 1 )में बात करते हैं चंद्रमा की।ज्योतिष एक विज्ञान( भाग- 2) में सूर्य आदि ग्रहों की जानकारियां प्राप्त होंगी।पूरा ब्रह्मांड पांच तत्वों से मिलकर बना है अग्नि ,पृथ्वी ,आकाश ,जल ,वायु । ब्रह्मांड में जितना भी जल है उस का कारक चंद्रमा है। इस बात को समझने के लिए एक साइंटिफिक उदाहरण देता हूं यह बात सभी जानते हैं की प्रत्येक पूर्णिमा की रात को समुद्र में ज्वार भाटा आता है, उसका कारण चंद्रमा है। उस रात चंद्रमा पूर्ण बली होता है और अपने गुरुत्वाकर्षण बल से अपनी कारक वस्तु जल को अपनी ओर आकर्षित करता है (खींचता है) क्योंकि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से कहीं ज्यादा होता है ,इसलिए चंद्रमा द्वारा ऊपर उठाया हुआ जल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे आ जाता है ।पानी के ऊपर उठने और नीचे गिरने की क्रिया को ज्वार भाटा कहा जाता है ।इस तथ्य को वैज्ञानिक स्वीकार कर चुके हैं कि इसका कारण चंद्रमा है। जैसे पृथ्वी पर 71% जल की मात्रा है वैसेे ही हमारेेे शरीर में भी 71% जल की मात्रा है ,चंद्रमा जब समुद्र के जल को प्रभावित कर सकता है तो हमारे शरीर के जल तत्व को भी प्रभावित करता है ।जिसके परिणाम स्वरूप चंद्रमा का प्रभाव हमारे मन पर पूर्ण रूप सेे होता है ,हमारा मन कभी शांत जल की तरह शांत होता हैैै और कभी ज्वाार भाटा की तरह अव्यवस्थित होता है ।ना तो कभी चंद्रमा विश्राम करता है और ना ही हमारा मन कभी रुकता है ।चंद्रमा की चांदनी में शीतलता और सौम्यता होती है ,ज्योतिष में भी चंद्रमाा को शीतल और सौम्य ग्रह ही लिया गया है ।अमेरिका में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार यह पाया गया कि अधिकांश हत्याकांड एवं अपराध अमावस्या एवं पूर्णिमा के आसपास ही होते हैं । डॉक्टर Budai
के अनुसार मनुष्य में कामुकता और मिर्गी या पागलपन का दौरा इन्हीं दिनों के आसपास आता है डॉक्टर Budai को आप इंटरनेट पर देख सकते हैं।
मानसिक रूप से बीमार रोगियों को उनका डॉक्टर पूर्णिमा की रात को चाँद न देखने की सलाह देता है।क्योंकि मन का कारक चन्द्रमा है और पूर्णिमा की रात को चन्द्र सबसे ज्यादा बली होता है, जिनका मन पहले से अव्यवस्थित है उस रात उनको ज्यादा परेशानी होगी । जो क्रूर किस्म के मनोरोगी होते हैं उनको तो पूर्णिमा की रात बेड़ियों से बांधकर या बंद कमरे में रखा जाता है। कारण सिर्फ चन्द्रमा है। जिन लोगों का BP High रहता है , पूर्णिमा के आस पास उनका कोई भी ऑपरेशन नहीं किया जा सकता क्योंकि उन दिनों खून का दौरा ज्यादा तेज होता है।
कुमुदिनी और रात की रानी जैसे फूल रात के समय चन्द्र किरणों से ही खिलते हैं। इन फूलों का रात के समय ही खिलना विशेष अर्थ रखता है। चन्द्रमा जब इन वनस्पतियों पर अपना प्रभाव रख सकता है तो हम भी तो उसी धरा पर ही रहते हैं, जहां पर ये सब फूल पौधे हैं।
प्राचीन काल से अब के समय तक हमारे विद्वान ज्योतिष आचार्य चन्द्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के होने की सही तिथि और समय का आंकलन करके वर्षों पूर्व ही बता देते हैं । ये गणनाएँ मात्र कल्पना नहीं हैं, यह विज्ञान की कसौटी पर भी खरी उतरती हैं।
अब सवाल यह आता है कि विज्ञान यह गणनाएँ लगभग 800 साल पहले करने लगा है और हमारे पूर्वज इन्ही गणनाओं को हजारों लाखों वर्षो पूर्व से ही करते आ रहे हैं। इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में हमारे पास विभिन्न ग्रन्थ मौजूद हैं। हमारे ऋषि मुनियों के पास यह ज्ञान होता था ,यह हमारे लिए गर्व व हर्ष की बात है कि हम भारतवासी केवल 800 साल से ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से वैज्ञानिक हैं।बाकी संसार ने हमसे ही ज्ञान प्राप्त किया है।
हमारे पूर्वजों ने बिना किसी विशेष उपकरण की सहायता के किस प्रकार ग्रहों के बारे में जानकारी प्राप्त की , ग्रहों की गणना , ग्रहों की पृथ्वी से दूरी, उनकी आपस मे दूरी, उनके रंग, व्यास, आकार , गुण इत्यादि कैसे जाना यह भी विचार करने योग्य तथा खोज करने वाला विषय है।
इस लेख में मैंने सिर्फ चन्द्रमा के बारे मे लिखा। आने वाले ज्योतिष एक विज्ञान( भाग -2) में सूर्य के बारे में जानकारी प्राप्त होगी तथा मेरे पास ज्योतिष एक विज्ञान विषय की जितनी भी जानकारी है, वह सारी जानकारी आपको आने वाले Blogs में मिलेंगी। यदी इस विषय की आपके पास कोई सामग्री हो तो कृपया करके हमसे साझा करें। धन्येवाद।
Writer,
Astrologer Deepak mudgil
91-9813508507
astrologerdeepaksharma@gmail.com
बहुत बढ़िया, अति उत्तम जानकारी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्येवाद जी।
DeleteWhat a unique information....
ReplyDeleteThanks sir ji
Deleteबहुत सुंदर ज्योतिष ज्ञान गुरु जी।। जय हो आपकी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्येवाद श्रीमान
Deletequite logical and informative.ऐसी ही और जानकारियां साझा करते रहियेगा।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्येवाद संदीप जी।
Deleteअति उतम ज्ञान।
ReplyDeleteऐसे ही जानकारी देते रहिएगा।
राधे-राधे
Thanks manoj ji
Deletevery nice...need to know more
ReplyDeleteThank you very much sir
आपका बहुत बहुत धन्येवाद जी।
DeleteThanku sir
ReplyDeleteThanks ji
Deleteअति उत्तम जानकारी, कोटि कोटि साधुवाद 🙏🙏
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्येवाद श्रीमान
DeleteRam Ram ji, Good to know about Moon.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार श्रीमान
DeleteVery much important and interesting information ��Keep it up guru ji ����
ReplyDeleteThank you very much ji.
ReplyDeleteThanks akansh ji
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteThanks ji
DeleteCongo sir very nice
ReplyDeleteThank you very much ji.
DeleteKya khub likha hai
ReplyDeleteDhanyawad bhupinder ji.
DeleteCongo sir very nice
ReplyDeleteThanks ji.
DeleteVery nice sir... This will be very informative for all of us
ReplyDeleteThanks priyanka ji.
DeleteAwesome information
ReplyDeleteAmazing sir g
ReplyDeleteVery nice sir... This is very informative for all of us
ReplyDeleteअति उत्तम प्रभु
ReplyDeleteAti uttam jaankari hai,guru ji. Apko koti koti pranaam
ReplyDeleteYou are wonderful and up-to-date also.
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